Khamoshi Shayari in Hindi: खामोशी बिना शब्दों के भी बोल सकती है. यह तब दिख सकता है जब कोई परेशान हो, उदास हो, या प्यार से भरा हो। जब कोई व्यक्ति जो आमतौर पर बहुत अधिक बोलता है अचानक शांत हो जाता है, तो यह निराशाजनक हो सकता है। उन क्षणों में, उनसे यह पूछना ज़रूरी है कि वे चुप क्यों हैं। मौन को बेहतर ढंग से समझने में मदद के लिए, हमारे पास इसके बारे में कविताओं का एक संग्रह है।
Khamoshi Shayari
मुस्तक़िल बोलता ही रहता हूँ कितना ख़ामोश हूँ मैं अंदर से !
वो है ख़ामोश तो यूँ लगता है, हम से रब रूठ गया हो जैसे !
तेरा चुप रहना मेरे ज़हन में क्या बैठ गया इतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया !
जब कोई बाहर से खामोश होता है, तो उसके अंदर बहुत ज्यादा शोर होता हैं !
मेरी खामोशी थी जो सब कुछ सह गयी, उसकी यादे ही अब इस दिल में रह गयी !
हम लबों से कह न पाए उन से हाल-ए-दिल कभी और वो समझे नहीं ये ख़ामुशी क्या चीज़ है !
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Khamoshi Shayari in Hindi
कैसे कह दूँ मैं सपनों को जीने की ख़्वाहिश नहीं, हाँ मैं ख़ामोश रहती हूँ पर मन ही मन बोलती हूँ !
तुम खामोश हो पर तुम्हारा दिल बोल रहा है, तुम्हारे खामोश होने का हर राज खोल रहा है !
आप जिस चीज़ को कहते हैं कि बेहोशी है वो दिमाग़ों में ज़रा देर की ख़ामोशी है !
ख़ामोश शहर की चीखती रातें, सब चुप हैं पर, कहने को है हजार बातें !
तड़प रहे है हम तुमसे एक अल्फाज के लिए, तोड़ दो खामोशी हमें जिन्दा रखने के लिए !
ख़मोशी से मुसीबत और भी संगीन होती है तड़प ऐ दिल तड़पने से ज़रा तस्कीन होती है !
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Waqt Khamoshi Shayari
ख़ामोश हो जा ऐ दिल ,यहां अब तेरा काम नही लब तो कब से ख़ामोश है,लब पे तेरा अब नाम नही !
शब-ए-हिज्रां बुझा बैठी हूँ मैं सारे सितारे पर कोई फ़ानूस रौशन है ख़मोशी से मेरे अंदर !
चुभता तो बहुत कुछ हैं मुझे भी तीर की तरह, लेकिन खामोश रहता हूँ तेरी तस्वीर की तरह !
खामोशीयाँ यूं ही बेवजह नहीं होतीं, कुछ दर्द भी आवाज़ छीन लिया करतें हैं !
इल्म की इब्तिदा है हंगामा इल्म की इंतिहा है ख़ामोशी !
कैसी है ये मोहब्बत कैसा ये प्यार है एक तरफ है ख़ामोशी एक तरफ इंतज़ार है !
Shayari on Khamoshi
जरूरी नहीं कि हर बात लफ़्ज़ों की गुलाम हो, ख़ामोशी भी खुद में इक जुबान होती है !
मुस्कुराहट दिखी पर आँखों की नमी न दिखी दिल दुखाने वालों को कभी अपनी कमी न दिखी !
दर्द इतना है कि रहने लगा हूँ खामोश, इस बात का मुझे नहीं है कोई अफ़सोस !
जब ख़ामोश आखों से बात होती हैं, ऐसे ही मोहब्बत की शुरूआत होती हैं !
उसे बेचैन कर जाऊँगा मैं भी ख़मोशी से गुज़र जाऊँगा मैं भी !
आंखों से बात करना कोई उनसे सीखे, खामोश रहकर भी बातें करना उनसे सीखे !
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Teri Khamoshi Shayari
दिल की बात कैसे समझाऊं, तेरी खामोशी कैसे मिटाऊं !
बात नहीं तो शिक़ायत ही कर, तेरे होंठ यूं खामोश अच्छे नहीं लगते !
जरा ख्याल की जिए मर न जाऊँ कहीँ, बहुत जहरीली है तेरी ख़ामोशी मैं पी न जाऊँ कहीँ !
तेरी खामोशी, अगर तेरी मजबूरी है, तो रहने दे इश्क कौन सा जरूरी है !
ख़ामोशी से जब तुम भर जाओगे , चीख लेना थोडा वरना मर जाओगे !
खुशी है चेहरे पर दिल में खामोशी भरी है याद में तेरे यह आंखें हर पल रो पड़ी है !
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Heart Touching Khamoshi Shayari
कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है ज़िंदगी एक नज़्म लगती है !
आज बहुत शांति से रहा बस एक सहकर्मी की ओर इशारा किया !
शाम के सन्नाटे में ये शोर कैसा वो सड़कों से पूछते हैं कि ये मोड़ कैसा है !
हुक्का ने खामोशी पर जोर दिया है ऐसे होता है प्यार का इजहार !
ठंड के मौसम में उदासी अच्छी नहीं लगती प्यार में प्रेमी की खामोशी अच्छी नहीं होती !
सन्नाटा टूटने का समय आ गया है अब हम खुद को बर्बाद करने आये हैं !
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Rishte Khamoshi Shayari
बहुत अलग सा है मेरे इश्क़ का हाल तेरी एक ख़ामोशी और मेरे लाखों सवाल !
गिला शिकवा ही कर डालो के कुछ वक़्त कट जाए, लबो पे आपके यह खामोशी अच्छी नहीं लगती !
मैंने अपनी एक ऐसी दुनिया बसाई है, जिसमें एक तरफ खामोशी और दूसरी तरफ तन्हाई है !
तू खुश है अपनी जिंदगी में मैं खुश हूं अपनी खामोशी में !
जब से ये अक्ल जवान हो गयी, तब से ख़ामोशी ही हमारी जुबान हो गयी !
मोहब्बत नहीं थी तो एक बार समझाया तो होता, नादान दिल तेरी खामोशी को इश्क समझ बैठा !
Khamoshi Alfaaz Shayari
उसने कुछ इस तरह से की बेवफाई, मेरे लबो को खामोशी ही रास आई !
जब इंसान अंदर से टूट जाता हैं, तो अक्सर बाहर से खामोश हो जाता हैं !
चुप रहो तो पूछता है ख़ैर है लो ख़मोशी भी शिकायत हो गई !
ये रात की ख़ामोशी ये आलम ए तन्हाई फिर दर्द उठा है दिल में फिर याद तेरी आई !
लोग कहते है कि वो बड़ा सयाना है, उन्हें क्या पता खामोशी से उसका रिश्ता पुराना है !
ख़ामोश शहर की चीखती रातें, सब चुप हैं पर, कहने को है हजार बातें !
Khamoshi Shayari in English
Ham khamoshi se dete hai khamoshi ka javab kaun kahata hain ab ham baat nahi karate.
Aap kyun nahi samajhte is khamoshi ko Kya khamoshi ko bhi zuban dena zaroori hai.
Bejubaan Mahafil Mein Shor Hone Laga Na Jaane Kaun Padh Gaya Khamoshi Meri.
Log To So Lete Hain Zamane Ki Chahal Pahal Me Bhi Mujhe To Teri Khamoshi Sone Nahi Deti.
Khamoshi Se Banate Rahiye Apni Pahachaan Hawaein Khud Gunagunaegi Aapaka Naam.
Jazbaat Kehte hai, Khamoshi se Basar Ho Jaye Dard ki Zidd hai Duniya ko Khabar ho Jaye.