Barish Shayari in Hindi: बारिश के मौसम में हमें अपने प्यारे रिश्तों और प्यारों की याद आती है। ये यादें पुरानी यादों और गर्मजोशी का एहसास कराती हैं, जो हमें अपने प्यारों के साथ बिताए गए प्यारे पलों को याद करने के लिए प्रेरित करती हैं।
देवियों और सज्जनों, अगर आप अपने प्यारों के लिए अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए सुंदर और दिल को छू लेने वाली मानसून कविता की तलाश कर रहे हैं, तो इस बेहतरीन संग्रह से बेहतर और कुछ नहीं है जिसे आप अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आसानी से साझा कर सकते हैं।
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Barish Shayari
रिमझिम फुहारों में दिल की बात हो तेरे साथ बिताए वो हसीन रात हो हर बूंद में महसूस हो तेरी मौजूदगी इस बारिश में बस प्यार की बरसात हो !
कहीं फिसल न जाऊं तेरे ख्यालों में चलते चलते अपनी यादों को रोको मेरे शहर में बारिश हो रही है !
दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था !
तेरी यादों की बारिश में भीगते हैं हम हर बूँद में तेरा अक्स देखते हैं हम ये मौसम, ये बारिश, तेरी याद दिलाए हर पल में तुझसे मिलने की चाहत जगाए !
उस ने बारिश में भी खिड़की खोल के देखा नहीं भीगने वालों को कल क्या क्या परेशानी हुई !
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Gulzar Barish Shayari
कोई तो बारिश ऐसी हो जो तेरे साथ बरसे तन्हा तो मेरी आँखें हर रोज़ बरसाती है !
बारिश और मोहब्बत दोनों ही यादगार होते हे बारिश में जिस्म भीगता हे और मोहब्बत में आँखे !
खुद भी रोता है मुझे भी रुलादेता है ये बारिश का मौसम उसकी याद दिला देता है !
कोई इस तरह भी वाकिफ हो मेरी जिंदगी से की मैं बारिश में भी रोऊँ और वो मेरे आँसूं पढ़ ले !
मुझे ऐसा ही जिन्दगी का हर एक पल चाहिए प्यार से भरी बारिश और संग तुम चाहिए !
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Barish Shayari in Hindi
बारिश की बूंदें जब जमीं पे गिरें हर बूँद में सजें, सपनों के घिरे इस मौसम की मिठास, दिल को भाए हर धड़कन में नई उमंग जगाए !
बारिश से ज़्यादा तासीर है तेरी यादों मे हम अक्सर बंद कमरे मे भी भीग जाते हैं !
आज मौसम कितना खुशगवार हो गया ख़तम सभी का इंतजार हो गया बारिश की बूंदे गिरी कुछ इस तरह से लगा जैसे आसमां को ज़मीं से प्यार हो गया !
तमाम रात नहाया था शहर बारिश में वो रंग उतर ही गए जो उतरने वाले थे !
किस मुँह से इल्ज़ाम लगाएं बारिश की बौछारों पर हमने ख़ुद तस्वीर बनाई थी मिट्टी की दीवारों पर !
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Barish Romantic Shayari
सुनी निगाहों में जब तुम समाए हो तो मौसम का हसीन होना लाज़मी है !
मौसम-ए-इश्क़ है तू एक कहानी बन के आ मेरे रू को भिगो दें जो तू वो पानी बन के आ !
सांस बन कर तुम मेरे दिल में समा जाते हो जब भी तुम्हे याद करता हूं बरसात बन के आ जाते हो !
बूँदों की सरगम, हवाओं का गीत बारिश में खो जाए दिल की हर प्रीत हर बूंद कहे एक नई कहानी बारिश में बिखरे, दिल की रवानी !
भीगा रही है बारिशें इश्क़ में मुझे ये मौसम दुआओं सा कहीं बदल न जाए !
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Barish Sad Shayari
मैं वो सहरा जिसे पानी की हवस ले डूबी तू वो बादल जो कभी टूट के बरसा ही नहीं !
जब बारिश की बूंदें तुम्हारी यादों के साथ गिरती हैं तो दिल में तन्हाई की आहट सी सुनाई देती है !
कभी बेपनाह सी पड़ी कभी गुम सी है यह बारिश भी कुछ कुछ तुम सी है !
टूट पड़ती थीं घटाएँ जिन की आँखें देख कर वो भरी बरसात में तरसे हैं पानी के लिए !
बारिश की बूंदों में झलकती है तस्वीर उनकी और हम उनसे मिलने की चाहत में भीग जाते हैं !
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Barish Shayari 2 Line
बारिश का मौसम मुझे इसीलिए भाता है अंदर और बाहर का मौसम एक सा हो जाता है !
उफ्फ फिर ये बरसात की रात आई है ख्वाबों में उसकी फिर से याद आई है !
ये बारिश का मौसम भी फीका सा लगता है तुम बिन ये सावन भी अधूरा सा लगता है !
सारे इत्रों की खुशबू आज मन्द पड़ गयी मिट्टी में बारिश की बूंदे जो चंद पड़ गयी !
गम- ए- बारिशे इसलिए नहीं कि तुम चले गए बल्कि इसलिए कि हम खुद को भूल गए !
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Shayari on Barish
मौसम-ए-इश्क है तू एक कहानी बन के आ मेरे रूह को भिगो दें जो तू वो पानी बन के आ !
कभी भीगते थे संग तेरे हम सावन की रिमझिम बारिश में आज अकेला ही भीगता हूँ मैं अपने आंसुओं की बारिश में !
गुजारिश करता हूं कि उससे अकेले में मुलाकात हो ख्वाहिश ए दिल है जब भी हो बरसात हो !
बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है !
तेरे प्रेम की बारिश हो,मैं जलमग्न हो जाऊं तुम घटा बन चली आओ,मैं बादल बन जाऊं !
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Barish Ki Shayari
किया न करो मुझसे इश्क़ की बाते बिन बारिश के ही भीग जाती हैं राते !
हवा भी रूक जाती है कहने को कुछ तराने बारिश की बूंदे भी उसे छूने को करती है बहाने !
जब भी होगी पहली बारिश,तुमको सामने पाएंगे वो बूंदों से भरा चेहरा तुम्हारा हम देख तो पाएंगे !
मजबूरियाँ ओढ़ के निकलता हूँ घर से आजकल वरना शौक तो आज भी है बारिशो में भीगने का !
सुनो ये बादल जब भी बरसता है मन तुझसे ही मिलने को तरसता है !
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Barish Par Shayari
बे मौसम बरसात से अंदाज़ा लगता हूँ मैं फिर किसी मासूम का दिल टुटा है मौसम-ए-बहार में !
बारिश आए ना आए भीगते ही रहते है हम जब जमकर बरसती है तेरी यादें !
कोई रंग नहीं होता बारिश के पानी में फिर भी फ़िज़ा को रंगीन बना देता है !
हम भीगते है जिस तरह से तेरी यादों में डूब कर इस बारिश में कहाँ वो कशिश तेरे खयालों जैसी !
तपिश और बढ़ गई इन चंद बूंदों के बाद काले सियाह बादलो ने भी बस यूँ ही बहलाया मुझे !
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Barish Shayari Love
बाहर आकर देखिए बारिश का नजारा हवा है ठंडी और मौसम भी है प्यारा !
इस बारिश के मौसम में अजीब सी कशिश है ना चाहते हुए भी कोई शिदत से याद आता है !
मैं तेरे हिज्र की बरसात में कब तक भीगूँ ऐसे मौसम में तो दीवारे भी गिर जाती हैं !
कभी झमझम बरसी, कभी छम छम सी है न जाने क्यों इस बारिस की भी आदत बस तुम सी है !
पहले बारिश होती थी तो याद आते थे अब जब याद आते हो बारिश होती है !
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Dosti Barish Shayari
ख़ुद को इतना भी न बचाया कर बारिश हुआ करे तो भीग जाया कर !
सावन के महीने में भीगे थे हम साथ में अब बिन मौसम भीग रहे है तेरी याद में !
ए बादल इतना बरस की नफ़रतें धुल जायें इंसानियत तरस गयी है प्यार पाने के लिये !
साथ तुम होते अगर तो बारिशों में भीगते यानी हम तुम मौसमों की साजिशों में भीगते !
मोहब्बत तो वो बारिश है जिससे छूने की चाहत मैं हथेलियां तो गीली हो जाती है पर हाथ खाली ही रह जाते है !
Pehli Barish Shayari
जब भी होगी पहली बारिश तुमको सामने पाएँगे वो बूंदों से भरा चेहरा तुम्हारा हम देख तो पाएँगे !
कल उसकी याद पूरी रात आती रही हम जागे पूरी दुनिया सोती रही आसमान में बिजली पूरी रात होती रही बस एक बारिश थी जो मेरे साथ रोती रही !
आंखों की नमी थी या बारिश की बूंदे बरसात में सब एक जैसी हो गयी !
सहमी हुई है झोपड़ी बारिश की खौंफ से महलों की आरज़ू है की बरसात तेज़ हो !
हम जागते रहे दुनिया सोती रही, इक बारिश ही थी, जो मेरे साथ रोती रही !
Chai Aur Barish Shayari
ये बारिश का मौसम और तुम्हारी याद चलो फिर मिलते हैं एक कप चाय के साथ !
तन्हा हैं सफ़र में हम खोने से नहीं डरते जो भीगे हुए हैं वो बारिश से नहीं डरते !
यह ठंडी हवाएं और याद तेरी एक कप चाय और तन्हाई मेरी !
कहाँ मिलते हैं ऐसे मोसम सुहाने बारिश, चाय और कुछ ख्यालात पुराने !
कहने को हैं जूडा जूडा मगर जचताय हैं एक साथ ही बारिश, खिड़की, शायरी में, तुम और चाय !
Barish Shayari in English
Main Tere Hijar Ki Barsaat Mein Kab Tak Bheegoon Aise Mausam Mein to Deevare Bhee Gir Jati Hain.
Rahane Do Ki Ab Tum Bhee Mujhe Padh Na Sakoge Barasaat Mein Kaagaz Kee Tarah Bheeg Gaya Hoon Main.
Zara Thehro Ke Barish Hai Ye Tham Jaye to Phir Jana Kisi Ka Tujh ko Chhu Lena Mujhe Achha Nahi Lagta.
Saath Baarish Me Lie Phirate Ho Us Ko ‘Anjum’ Tum Ne Is Shahar Me Kya Aag Lagani Hai Koi.
Tere Ishq Ki Baarish Me Kuchh Is Kadar Bheeg Jaoon Ho Ke Mast Maula Main Is Duniya Ko Bhool Jaoon.